जीने का निखार मत छोड़ो हिम्मत करो | भयभीत न रहो | जिन्दगी चार दिन की है इस चार दिन की जिंदिगी से क्या भय करना | किसका भय करना | बहुत से बहुत मौत ही तो हो सकती है | पर मेरे दोस्त मौत तो होनी ही है | इसलिए मौत एक ऐसी चीज है जिसको बिलकुल एक किनारे रख दो | उसकी तो कोई कीमत ही मत मानो | जो होना है वो होना ही है | उसके लिए क्या फ़िक्र करनी | जीने का मजा क्यूँ छोड़ो ? जीने की पूर्णता क्यूँ छोड़ो? जीने का निखार मत छोड़ो! हाँ अगर ऐसा होता है तो मौत से सदा के लिए बच सकते, तो बात सोचने कि थी, बिचारने कि थी | भाग तो सकोगे नहीं | ऐसे भी मरोगे वैसे भी मरोगे | मिट जाना है मिटटी में गिर जाना है | इसके पहले कि मिटटी में गिरो , अपने भीतर अमृत को खोज लेना जरुरी है.... (ओसो)
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